सुनने में आ रहा है कि ब्रिटिश काल से चले आ रहे आईपीसी यानी भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता लागू करने के बाद चल रही है और जल्दी ही लागू किया जा सकता है केंद्र सरकार गणतंत्र दिवस 26 जनवरी से पहले भारतीय न्याय संहिता को लागू करने की अधिसूचना जारी कर सकती है इस नए कानून लागू होने के साथ-साथ हम आपको यह बात भी बता दें इसके साथ ही देश के अलग-अलग जेल में बंद 82 हजार कैदियों की रिहाई भी की प्रक्रिया भी शुरू की हो जायेगी ये वो अंडर ट्रायल कैदी हैं जो कम गंभीर अपराधों में जेल में बंद है जताई जा रही है कि यह कैदी इस साल होली से पहले जेल से रिहा हो सकते हैं कैदियों के पास जमानत लेने के लिए पैसे नहीं होंगे उनके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार रकम का इंतजाम करेगी सरकार ने यह भी कहा है कि आंकड़ों के मुताबिक जेल में बंद कैदी साढ़े पांच लाख से ज्यादा कैदी हैं जिनमे आधे से से अधिक कैदी गैर संगीन अपराधों के आरोपों में बंद है और सरकार ने यह भी कहा कि इनमें से कुछ कैदी अंडर ट्रायल के मुताबिक कुछ कैदी जो कि अपराध नहीं किए हैं उनकी संख्या 2 लाख के करीब बताई जा रही है बताया जा रहा है कि अंडर ट्रायल कैदियों की रिहाई से पहले जेल अधिकारियों पुलिस कर्मियों व वकीलों की जरूरी ट्रेनिंग भी दी जाएगी केंद्र सरकार का कहना हैं !
आप सभी को बता दे की भारतीय न्याय संहिता क्या है?
- विधेयक एवं अधिनियम
- संसद विधेयक अधिनियम
- संसद एवं सामरिक मामले
- भारतीय न्याय संहिता
- भारतीय न्याय संहिता 11 अगस्त 2023 से शुरू हुई
विधेयक की मुख्य बातें क्या-क्या है ?
आपको बता दे की विधेयक की मुख्य बातें यह हैं की भारतीय न्याय संहिता की (बीएनएस) अधिकांश अपराधों को आईपीसी से अलग रखती है ! इनमे सामुदायिक सेवा को सजा के रूप में जोड़ा जाता हैं ! दुसरी बात यह है कि राजद्रोह अब अपराध नहीं है बल्कि भारत की संप्रभुता एकता और अखंडता खतरे में डालने वाले कृत्यों के लिए एक नया अपराध है बीएनएस आतंकवाद को अपराध के रूप में शामिल करता है एक ऐसे कृत्य के रूप में परिभाषित किया गया जिसका उद्देश्य यह है कि देश की एकता अखंडता और सुरक्षा को खतरे में डालना आम जनता को डराना धमकाना और सार्वजनिक व्यवस्था बिगाड़ना या उसका खंडन करना है!
संगठित अपराध को अपराध के रूप में जोड़ा गया है । और इसमें अपराध सिंडीगेट की तरफ से किए गए अपहरण जबरजस्ती वसूली और साइबर अपराध जैसे भी इसमें सामिल है और जैसे कोई छोटा मोटा भी संगठित अपराध करता है तो उसको अपराध माना जायेगा और उसके दंड भी है । जाती भाषा या व्यक्तिगत भरोसा विश्वास पहचान चिन्हों के आधार पर पांच या अधिक व्यक्तियों के समूह द्वारा हत्या सात साल से लेकर आजीवन कारावास मौत की सजा के साथ एक अपराध माना जायेगा अपराध होगा।